बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: : what's App no 9971065525 DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं CD-Live YDMS चुनावदर्पण https://www.youtube.com/channel/UCjS_ujNAXXQXD4JZXYB-d8Q/channels?disable_polymer=true

Tuesday, September 5, 2023

Hurrey! Chanda Mama ke vaksh ko Choomte, us par khelte, uske Dharti Putra, Bharat Mata ke Lal.

1. Hurrey! Chanda Mama ke vaksh ko Choomte, uske Dharti Putra, Bharat Mata ke Lal. 
*युदस नदि 20 अग 2023:*
हुर्रे! चंदा मामा के वक्ष को चूमते, उसके धरती पुत्र, भारत मां के लाल। 
2. Chanda Mama ke vaksh par baithe khel rahe, uske Dharti Putra, Bharat Mata ke Lal. 
अंतरिक्ष दर्पण YDMS👑
▶️CD-Live YDMS👑 चयनदर्पण 
*युदस नदि 23 अग 2023:*
हुर्रे! चंदा मामा के वक्ष पर बैठे खेल रहे, उसके धरती पुत्र, भारत मां के लाल। 
प्राप्त जानकारी अनुसार, सतह और अन्य विस्तृत विवरण उत्साह वर्धक है। 
-AntaRiksh Darpan YDMS👑 
इसरो श्रीहरिकोटा से प्राप्त राष्ट्रहित में प्रस्तुत विविध ये सूचनाएं देखें:
चंद्रयान-3
LVM3-M4-चंद्रयान-3 मिशन: चंद्रयान-3 मिशन सॉफ्ट-लैंडिंग वीडियो
सितम्बर 04, 2023

लैंडर और रोवर स्लीप मोड में हैं. 22 सितंबर, 2023 के आसपास उनके जागने की प्रतीक्षा है।
31 अगस्त 2023

आईएलएसए लैंडिंग स्थल के आसपास की गतिविधियों को सुनता है
चंद्रयान-3 पर रंभा-एलपी सतह के निकट प्लाज्मा सामग्री को मापता है
30 अगस्त 2023

APXS ऑन-बोर्ड Ch-3 रोवर लघु तत्वों की उपस्थिति को जांचता है
28 अगस्त 2023

एलआईबीएस स्पष्ट इन-सीटू माप के माध्यम से चंद्र सतह पर सल्फर (एस) की उपस्थिति की पुष्टि करता है।
27 अगस्त 2023
विक्रम लैंडर पर चाएसटीई पेलोड से प्रथम अवलोकन
24 अगस्त 2023

चंद्रयान-3 रोवर: भारतयुद्ध  में निर्मित। चंद्रमा हेतु निर्मित! सीएच-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की! शीघ्र ही अन्य अपडेट.
23 अगस्त 2023

'मैं अपने लक्ष्य तक पहुंच गया और आप भी!': चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है। बधाई हो, भारत!
20 अगस्त 2023

लैंडर मॉड्यूल 25 किमी x 134 किमी कक्षा में है। पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त, 2023 को लगभग 1745 बजे आरंभ होने की आशा है। प्रथम
19 अगस्त 2023

लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के चारों ओर 113 किमी x 157 किमी की कक्षा में है। दूसरी डी-बूस्टिंग की योजना 20 अगस्त, 2023 को बनाई गई है
17 अगस्त 2023

लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है। 18 अगस्त, 2023 को डिबॉस्टिंग की योजना बनाई गई
16 अगस्त 2023

16 अग, 2023 के विस्फोट के बाद अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में है
14 अगस्त 2023

मिशन कक्षा वृत्ताकारीकरण चरण में है। अंतरिक्ष यान 151 किमी x 179 किमी कक्षा में है
09 अगस्त 2023

9 अगस्त, 2023 को किए गए एक युद्धाभ्यास के बाद चंद्रयान -3 की कक्षा घटकर 174 किमी x 1437 किमी हो गई है
06 अगस्त 2023

LBN#2 is successfully completed. The spacecarft is in 170 km x 4313 km orbit around the moon
Chandrayaan-3 Video: The Moon, as viewed by Chandrayaan-3 during Lunar Orbit Insertion
August 05, 2023

Chandrayaan-3 is successfully inserted into the lunar orbit. The orbit achieved is 164 km x 18074 km, as intended.
August 01, 2023

The spacecraft is inserted into the translunar orbit. The orbit achieved is 288 km x 369328 km. Lunar-Orbit Insertion (LOI) is planned for Aug 5, 2023.
July 25, 2023

Orbit-raising maneuver performed on July 25, 2023. Next firing (TransLunar Injection), is planned for August 1, 2023.
July 22, 2023

The fourth orbit-raising maneuver (Earth-bound perigee firing) is completed. The spacecraft is now in a 71351 km x 233 km orbit.
July 17, 2023

The second orbit-raising maneuver performed. The spacecraft is now in 41603 km x 226 km orbit.
July 15, 2023

The first orbit-raising maneuver (Earthbound firing-1) is successfully performed at ISTRAC/ISRO, Bengaluru. Spacecraft is now in 41762 km x 173 km orbit.
July 14, 2023

LVM3 M4 vehicle successfully launched Chandrayaan-3 into orbit. Chandrayaan-3, in its precise orbit, has begun its journey to the Moon. Health of the Spacecraft is normal.
July 11, 2023

धारा 107. के अंतर्गत उचित उपयोग कॉपीराइट अस्वीकरण 
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प्रक्षेपण 14 जुलाई, 2023 श्रीहरिकोटा से आईएसटी। 
राष्ट्रहित में प्रस्तुत यह सकारात्मक समाचार सार्थक अधीकृत यूट्यूब से हैं। साथ ही भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय से मान्य युगदर्पण ®2001 का मीडिया व राष्ट्र हित में सभी प्रकार से कापीराइट से मुक्त है। 
-AntaRiksh Darpan YDMS👑 
-तिलक रेलन वरिष्ठ पत्रकार, YDMS👑
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Sunday, September 3, 2023

चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की सफलता और सामर्थ्य का प्रमाण है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी YDMS👑

चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की सफलता और सामर्थ्य का प्रमाण है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी YDMS👑 

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*युदस नदि 23 अगस्त 2023:* पूरा देश चंद्रयान-3 की सफलता से उत्साहित है। देश के राष्ट्रपति ने इस उपलब्धि पर बधाई दी। 
जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित 15 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 की सफलता के लिए वहां से बधाई दी। 
प्रधानमंत्री ने अपने कार्यक्रम के मध्य, एक पोस्ट की इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों के मिशन और सामर्थ्‍य का पता है। 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा: 
“चंद्रयान-3 की सफलता 140 करोड़ भारतीयों की सफलता और सामर्थ्य का प्रमाण है। 
नये क्षितिज और उनके आगे की ओर! 
भारत के लिए गौरव का क्षण।” 
इसी प्रकार के संगीतकार मंडल के अन्य गीतकार शीर्ष लोगों से भी बधाई संदेश आते रहते हैं। 

-तिलक रेलन वरिष्ठ पत्रकार, युगदर्पण ®2001 मीडिया समूह YDMS👑 

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Friday, July 1, 2022

अंतरिक्ष दर्पण: प्रधानमंत्री की बधाई।

अंतरिक्ष दर्पण: प्रधानमंत्री की बधाई। 

प्रधानमंत्री ने पीएसएलवी सी53 द्वारा अंतरिक्ष में भारतीय स्टार्ट-अप्स के दो पे-लोडों की सफल प्रक्षेपण पर इन-स्पेसई और इसरो को बधाई दी 

*युदस नदि 1 जुलाई 2022:* साभार पसूका एवं प्रधानमंत्री कार्यालय: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'पीएसएलवी सी53 मिशन' द्वारा अंतरिक्ष में भारतीय मौलिक 'स्टार्ट-अप्स' के दो उपग्रहों 'पे-लोडों' की सफल प्रक्षेपण 'लॉन्चिंग' के लिये अंतरिक्ष कर्मियों 'इन-स्पेसई' और इसरो को बधाई दी है।  

एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा हैः

 “अंतरिक्ष में भारतीय स्टार्ट-अप्स के दो पे-लोडों को लॉन्च करके पीएसएलवी सी53 मिशन ने एक नया पड़ाव अर्जित कर लिया है। यह उपलब्धी, कर दिखाने के लिये @INSPACeIND और @isro को बधाई। विश्वास है कि निकट भविष्य में और अधिक भारतीय कंपनियां अंतरिक्ष में पहुंचेंगी।” 
समूह संपादक युगदर्पण®2001 की ओर से भी, 'पीएसएलवी सी53 मिशन' द्वारा अंतरिक्ष में भारतीय मौलिक 'स्टार्ट-अप्स' के दो उपग्रहों 'पे-लोडों' की सफल प्रक्षेपण 'लॉन्चिंग' के लिये अंतरिक्ष कर्मियों 'इन-स्पेसई' और इसरो को बधाई हो।  

https://t.me/+YUEjthSnYJJmMWQ9 

-तिलक रेलन आज़ाद वरिष्ठ पत्रकार, 
समूह संपादक युगदर्पण®2001 मीडिया समूह YDMS👑 

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Monday, January 20, 2020

YDMS👑प्रस्तुति... DD-Live YDMS दूरदर्पण, CD-Live YDMS चुनावदर्पण देश को समर्पित, दो यू-टयूब राष्ट्रीय चैनल.

👑आज अपने जन्म दिवस के अवसर पर, देश को समर्पित हैं, दो यू-टयूब राष्ट्रीय चैनल 
सकारात्मक सार्थक श्रेष्ठ चयनित समाचार का प्रतीक YDMS👑प्रस्तुति
DD-Live YDMS दूरदर्पण विविध राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय विषयों पर दो दर्जन प्ले-सूची  https://www.youtube.com/channel/UCHK9opMlYUfj0yTI6XovOFg एवं
देश की राजनीति पर युगदर्पण मीडिया समूह का नया यू-टयूब चैनल CD-Live YDMS चुनावदर्पण
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक

यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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Thursday, October 6, 2016

भारत का संचार उपग्रह जीसैट-18 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित

भारत का संचार उपग्रह जीसैट-18 सफलतापूर्वक प्रक्षेपित 
भारत का संचार उपग्रह जीसैट-18 सफलतापूर्वक प्रक्षेपिततिलक नदि। बेंगलूरू से प्राप्त विज्ञप्ति के अनुसार भारत का नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 फ्रेंच गुआना के कोउरू अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया, जिससे देश की संचार सेवाओं में दृढ़ता आएगी। जीसैट-18 आगामी दिनों में टेलीविजन, दूरसंचार, वीसैट और डिजिटल उपग्रह समाचार एकत्र करने जैसी सेवाएं प्रदान करेगा। प्रक्षेपण में एक दिन के विलंब के बाद यूरोपीय प्रक्षेपक रॉकेट एरियन-5 वीए-231 भारतीय समयानुसार मध्य रात्रि दो बजे अंतरिक्ष के लिए प्रस्थान हुआ और 32 मिनट सेकुछ अधिक की त्रुटिरहित उड़ान में अपने साथ गए सहयात्री स्काई मस्टर..2 उपग्रह का चक्कर लगाने के बाद उच्च शक्ति वाले जीसैट-8 को अंतरिक्ष में स्थापित कर दिया। साथ गया स्काई मस्टर-2 उपग्रह ऑस्ट्रेलियाई परिचालक एनबीएन (नेशनल ब्रॉडबैंड नेटवर्क) से संबद्ध है। इसका प्रक्षेपण तो बुधवार को किया जाना था, किन्तु कोउरू में मौसम खराब होने के कारण से इसे 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था। 
कोउरू दक्षिणी अमेरिका के उत्तर-पूर्व में स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है। जीसैट-18 ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वर्तमान में परिचालित 14 संचार उपग्रहों के बेड़े को दृढ़ता प्रदान की है। इसे ‘जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट’ में प्रक्षेपित किया गया। उपग्रह के प्रक्षेण यान से विमुख होते ही कर्नाटक के हासन स्थित मुख्य नियंत्रण केंद्र ने तत्काल इसका सञ्चालन और निंयत्रण अपने हाथों में ले लिया। बेंगलूरू मुख्यालय से इसरो ने कहा कि उपग्रह की प्रारंभिक जांच में पता चला कि इसकी स्थिति ‘‘सामान्य’’ है। इसरो ने कहा, ‘‘32 मिनट 28 सेकंड की उड़ान के बाद जीसैट-18 एरियन-5 से अलग होकर भूमध्य रेखा के छह डिग्री कोण पर 251.7 किमी की पेरिजी (पृथ्वी से निकटतम बिन्दु) और 35,888 किलोमीटर की एपोजी (पृथ्वी से दूरस्थ बिन्दु) पर दीर्घवृत्ताकार जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में उपरी चरण पर चला गया ।’’ 
देखें - https://www.youtube.com/watch?v=0Yt4aB3qcyE&index=49&list=PLD8A212A480412E57 
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीसैट..18 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को बधाई दी। 
तिलक नदि। मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो को बधाई। हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह एक और मील का पत्थर है।’’ राष्ट्रपति के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा गया, ‘‘संचार उपग्रह जीसैट-18 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो को हार्दिक बधाई।’’ इसरो के अध्यक्ष एएस किरण कुमार ने ‘‘एकदम सटीक’’ प्रक्षेपण के लिए एरियनस्पेस की सराहना करते हुए कहा, ‘‘जीसैट-18 हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह है जो पुराने होते वर्तमान उपग्रहों को बदलकर हमारे देश में महत्वपूर्ण संचार सेवाओं की निरंतरता बनाए रखने में हमें सक्षम बनाएगा।’’ 
जीसैट-18 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला इसरो का 20वां उपग्रह है तथा एरियनस्पेस प्रक्षेपक के लिए यह 280वां मिशन है। अपने भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एरियन-5 रॉकेट पर निर्भर इसरो इस उद्देश्य के लिए जीएसएलवी एमके-3 विकसित कर रहा है। प्रक्षेपण के समय 3,404 किलोग्राम भार रखने वाला जीसैट-18 नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और केयू बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है। मिशन नियंत्रण केंद्र से प्रक्षेपण देखने वाले इसरो प्रमुख प्रक्षेपण के तुरंत बाद चले गए और उनका संदेश बाद में उनके एक सहकर्मी ने पढ़कर सुनाया। 
सी बैंड, विस्तारित सी बैंड और केयू बैंडों में परिचालित उपग्रहों की सेवाओं की निरंतरता उपलब्ध कराने के लिए प्रारूपित किया गया जीसैट-18 उपग्रह प्रायः 15 वर्ष के सेवा मिशन पर गया है। इसरो ने कहा कि आगामी दिनों में जीसैट-18 को उपग्रह की प्रणोदक प्रणाली का चरणों में उपयोग कर भूस्थतिक कक्षा (भूमध्य रेखा से 36 हजार किमी ऊपर) में पहुंचाने के लिए इसे कक्षा में ऊपर उठाने का कार्य किया जाएगा। इसने कहा कि जीसैट-18 के दो सौर पैनल और दोनों एंटीना परावर्तक इसे कक्षा में उपर उठाने के बाद तैनात किए जाएंगे। उपग्रह को भूस्थतिक कक्षा में 74 डिग्री पूर्वी देशान्तर पर और इसे भारत के परिचालित भूस्थतिक उपग्रहों के साथ स्थापित किया जाएगा। इसके बाद, इसरो जीसैट-18 के साथ गए संचार उपग्रहों पर प्रायोगिक कार्य करेगा और कक्षा संबंधी सभी परीक्षण पूरे होने के बाद उपग्रह परिचालन उपयोग हेतु तैयार हो जाएगा। जीसैट-18 का सहयात्री स्काई मस्टर-2 कैलिफोर्निया के पालो आल्टो स्थित एएसएल (स्पेस सिस्टम्स लोराल) द्वारा निर्मित किया गया है। यह डिजिटल अंतराल को पाटने पर केंद्रित है, विशेष कर ऑस्ट्रेलिया के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में। आगामी वर्ष के आरम्भ में एरियनस्पेस इसरो के दो और उपग्रहों- जीसैट-17 तथा जीसैट-11 का भी प्रक्षेपण करेगा। कुमार ने कहा, ‘‘इन उपग्रहों का प्रक्षेपण संबंधी कार्य उच्च चरण में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जीसैट 17 हमारे उपग्रहों को बदलने के लिए एक महत्वपूर्ण उपग्रह है और जीसैट 11 ‘हाई थ्रूपुट’ उपग्रह की इसरो की पहली पीढ़ी होगा। भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ये दोनों आगामी प्रक्षेपण महत्वपूर्ण हैं।'' 
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Sunday, September 11, 2016

यह प्रक्षेपण स्वदेशी निम्नतापीय उच्च श्रेणी था और यह पहली परिचालन उड़ान है

श्रीहरिकोटा, 
भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता के नये शिखर को छूते हुए अत्याधुनिक मौसम उपग्रह इनसैट-3 डीआर को जीएसएलवी-एफ 05 के माध्सम से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया। इस 49.13 मीटर उंचे रॉकेट को यहां के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सायं प्रायः 4:50 बजे प्रक्षेपित किया गया और यह तत्काल नीले गगन की अथाह गहराइयों में विलीन हो गया तथा प्रायः 17 मिनट के बाद इस 2,211 किलोग्राम के इनसैट-3डीआर को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा में स्थापित कर दिया। इससे पूर्व इस प्रक्षेपण को 40 मिनट के लिए संशोधित किया और इसका प्रक्षेपण सायं चार बजकर 50 मिनट निर्धारित किया गया। इस अंतरिक्ष स्टेशन के दूसरे प्रक्षेपण स्थल से इसे चार बजकर 10 मिनट पर छोड़ा जाना निर्धारित किया गया था। अधिकारियों ने कहा था कि इसके प्रक्षेपण में 40 मिनट की देरी हुयी। निम्नतापीय प्रक्रिया में देरी के कारण प्रक्षेपण चार बजकर 50 मिनट पर निर्धारित किया गया। इनसैट-3डीआर को इस प्रकार से तैयार किया गया है कि इसका जीवन 10वर्ष का होगा। यह पहले मौसम संबंधी मिशन को निरंतरता प्रदान करेगा तथा भविष्य में कई मौसम, खोज और बचाव सेवाओं में क्षमता का विस्तार करेगा। आज का यह मिशन जीएसएलवी की 10वीं उड़ान थी और इसका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के लिए बड़ा महत्व है क्योंकि यह स्वदेशी निम्नतापीय श्रेणी वाले रॉकेट की पहली परिचालन उड़ान है। पहले, निम्नतापीय स्तर वाले जीएसलवी के प्रक्षेपण विकासात्मक चरण के तहत होते थे। जीएसएलवी-एफ 05 ने स्वदेश में विकसित निम्नतापीय उच्च श्रेणी की सफलता की हैट्रिक भी बनाई है। इसरो के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, जीएसएलवी-एफ05 का आज का प्रक्षेपण अति महत्वपूर्ण है क्योंकि निम्नतापीय उच्च श्रेणी को ले जाने वाली जीएसएलवी की यह पहली परिचालन उड़ान है। पहले के प्रक्षेपण विकासात्मक होते थे। उपयोग किया गया इंजन रूसी था। आज का प्रक्षेपण स्वदेशी निम्नतापीय उच्च श्रेणी था और यह पहली परिचालन उड़ान है। वर्ष 2014 की सफलता के बाद भारत उन प्रमुख देशों के समूह में शामिल हो गया था जिन्होंने स्वदेशी निम्नतापीय इंजन और श्रेणी में सफलता अर्जित की है। आज की सफलता से उत्साहित इसरो प्रमुख एएस किरण कुमार ने वैज्ञानिकों के अपने समूह को एक और सफलता के लिए बधाई दी और कहा कि उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया है। सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (शार) के निदेशक पी कुनिकृष्णन ने कहा कि आज का प्रक्षेपण सुव्यविस्थत था जहां उपग्रह को बहुत सटीक ढंग से भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित किया गया। किरण कुमार ने कहा, अद्भुत काम के लिए इसरो के पूरे समूह को बहुत बधाई। इस काम को जारी रखिए। इनसैट-3डीआर के कक्षा में स्थापित होने के बाद कर्नाटक के हासन स्थित मुख्य नियंत्रण कक्ष के वैज्ञानिक कक्षा में इसके आरंभिक अभ्यास को कार्यरूप देंगे और बाद में इसे भू-स्थिर कक्षा में स्थापित करैंगे। इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है। 
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मौसम उपग्रह इनसैट 3DR को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। विशेष बात यह है कि GSLV से पहली बार इस मौसम उपग्रह को छोड़ा गया है। इस उपग्रह से बचाव सेवाओं के साथ-साथ मौसम से संबंधित जानकारियों को सटीकता से जाना जा सकेगा। इसरो ने श्रीहरिकोटा से इस प्रक्षेपण को संभव बनाया। https://www.youtube.com/watch?v=U_x85pn0J9A&list=PLD8A212A480412E57&index=47
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http://paryaavarandarpan.blogspot.in/2016/09/blog-post.html

Tuesday, July 5, 2016

नासा का अंतरिक्ष यान जूनो बृहस्पति की कक्षा में प्रविष्ट

नासा का अंतरिक्ष यान जूनो बृहस्पति की कक्षा में प्रविष्ट 

नासा का अंतरिक्ष यान जूनो बृहस्पति की कक्षा में दाखिलतिलक। ह्यूस्टन से प्राप्त समाचारों के अनुसार नासा का सौर-ऊर्जा से संचालित अंतरिक्षयान जूनो पृथ्वी से प्रक्षेपण के पांच वर्ष बाद 80करोड किमी की दूरी पर आज बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर गया। इस उपलब्धि को ग्रहों के राजा और हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति की उत्पत्ति और विकास को समझने की दिशा में एक बड़ा पग माना जा रहा है। अमेरिका में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर उत्सव के वातावरण के बीच ही, जूनो के बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश कर जाने की सूचना मिलने पर नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में इस अभियान के प्रसन्न नियंत्रक झूम उठे। 35 मिनट तक ईंजन के प्रज्वलन के बाद यह यान ग्रह के चारों ओर बनी तय कक्षा में प्रवेश कर गया। इस अभियान की लागत 1.1 अरब डॉलर है। जूनो अपने साथ नौ वैज्ञानिक उपकरण लेकर गया है। 
जूनो बृहस्पति की ठोस सतह के अस्तित्व का अध्ययन करेगा, ग्रह के अति शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा, गहरे वातावरण में उपलब्ध जल और अमोनिया की मात्रा नापेगा और इसकी प्रभातों का विश्लेषण करेगा। नासा ने कहा कि यह अभियान बड़े ग्रहों के निर्माण और सौरमंडल के शेष ग्रहों को एक साथ रखने में इनकी भूमिका को समझने में एक बड़ा पग उठाने में हमारी सहायता करेगा। बृहस्पति बड़े ग्रह के रूप में हमारे सामने एक प्रमुख उदाहरण है। वह अन्य नक्षत्रों के आसपास खोजे जा रहे अन्य ग्रह तंत्रों को समझने के लिए भी महत्ती जानकारी उपलब्ध करवा सकता है। जूनो अंतरिक्षयान को पांच अगस्त 2011 को फ्लोरिडा स्थित केप केनेवरेल एयरफोर्स स्टेशन से प्रक्षेपित किया गया था। 
नासा के प्रशासक चार्ली बोल्डेन ने कहा कि जूनो की सहायता से, हम बृहस्पति के व्यापक विकीरण वाले क्षेत्रों से जुड़े रहस्यों को सु लझाएंगे, इससे ग्रह की आंतरिक संरचना को तो समझने में सहयोग के साथ ही साथ बृहस्पति की उत्पत्ति और हमारे पूरे सौरमंडल के विकास को भी समझने में सहायता मिलेगी। जूनो के बृहस्पति की कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश कर जाने की जानकारी जूनो के आंकड़ों का निरीक्षण कर रही, जेपीएल की नौचालन शाखा (केलीफोर्निया) के साथ-साथ लॉकहीड मार्टिन जूनो सञ्चालन केंद्र (कोलोरेडो) को मिली। दूरमापी और मार्ग चिन्ह से जुड़ी जानकारी नासा के अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया स्थित 'डीप स्पेस नेटवर्क एंटीना' पर मिली। कक्षा में प्रवेश से पूर्व ईंजन का प्रज्वलन किया जाना था। जूनो के प्रमुख ईंजन का प्रज्वलन भारतीय समयानुसार प्रात: आठ बजकर 48 मिनट पर आरम्भ हुआ, जिससे अंतरिक्ष यान का वेग घटकर 542 मीटर प्रति सेकेंड रह गया और यह यान बृहस्पति की कक्षा में पहुंच गया। 
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